जब बच्चो ने अस्तबल में बाँध दिया रावण , जानिये Ravan से जुडी बाते

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Facts about Ravan :

 

Ravan (रावण) जितना विद्वान , बलशाली , ज्ञानी था उतना ही ज्यादा दुष्ट भी था शायद इसीलिए कई लोग उसे ब्राह्मण का दर्जा देते है तो कई उसे राक्षस का. रावण कई घरों में पूजा जाता है तो कई घरों में हर साल जलाया जाता है. आज हम बात करेंगे विद्वान पंडित रावण से जुड़े कुछ ऐसे तथ्यों की जो इस से पहले शायद ही आप जानते हों ..

वीर योद्धा रावण : 

कहा जाता है की रावण इतना वीर था की जब भी अपने किसी युद्ध पर जाता था तो अपनी सेना से काफी आगे चलता था. रावण ने कई युद्ध अकेले ही दम पर जीते थे. रावण ने युद्ध में यमराज को हराकर नरक में मौजूद जीवात्माओ को अपनी सेना में शामिल कर लिया था.

तारीफ सुनने की भूख :

रावण (Ravan)हमेशा ही अपनी तारीफ का भूखा था , वह अपनी गलती होने के बावजूद भी तारीफ ही सुनना चाहता था जिसके कारण उसने अपने काफी नजदीकी लोगो को खो दिया जैसे की विभीषण (भाई) , माल्यवंत (नाना) , शुक (मंत्री).

महिलाओं के प्रति दुर्व्यवहार :

रावण , महिलाओं के प्रति गलत भावना रखता था जो उसके विनाश का मुख्य कारण बना. रावण को रंभा और सीता का श्राप लगा जो रावण का काल ले कर आया.

स्वर्ग तक सीढिया :

रावण (Ravan) स्वर्ग तक सीढिया बनाना चाहता था ताकि जो लोग भगवान् को मोक्ष के लिए पूजते है वह लोग रावण को पूजना शुरू करें.

शराब से दुर्गन्ध :

रावण शराब से गंध मिटाना चाहता था ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग शराब के नशे में अधर्म को बढ़ा सके.

रथ में गधे :

बाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण (Ravan) के रथ में तेजी से चलने वाले गधे होते थे जबकि अन्य राजाओ के रथों में अच्छी नस्ल के घोड़े.

रंग गोरा करने की इच्छा :

रावण का रंग काला था जिसके कारण वह चाहता था की इस दुनिया में सभी काले लोग गोरे हो जाए जिस से कोई भी महिला उसका अपमान न कर सकें.

रावण का वैभव :

सोने की लंका में रहने वाले रावण के महल में देवता और दिगपाल हाथ जोड़ कर खड़े रहते थे. रावण के महल में अशोक वाटिका थी जहां एक लाख से अधिक अशोक के पेड़ थे. अशोक वाटिका में किसी भी अन्य पुरुष को जाने की अनुमति नहीं थी.

रावण को बच्चो ने अस्तबल में बाँधा :

रावण (Ravan) जब पाताल लोक के राजा बलि से युद्ध करने पहुंचा तब बलि के महल में खेल रहे बच्चो ने ही उसे पकड़ कर घोड़ो के साथ अस्तबल में बाँध दिया था.

 

रावण अपनी शक्ति के अभिमान में चूर होने के कारण बिना कुछ सोचे समझे युद्ध की चुनौती दे दिया करता था जिस से उसे कई बार हार का भी सामना करना पड़ा. भगवान शिव , सहस्त्रबाहू अर्जुन , बली और बाली से युद्ध करना रावण को काफी महंगा पड़ा. भगवान् शिव से युद्ध में हारने के बाद ही रावण ने उन्हें अपना गुरु मानना शुरू किया और शिव भक्त कहलाया.

 

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