रावण ने किस से छीनी थी लंका , जानिये Ravan से जुड़े रहस्य

0

रावण ने किस से छीनी थी लंका :

 

दशहरे पर सभी लोग रावण (Ravan) वध की बात करते है उसके विद्वान होने के बावजूद इस प्रकार के अंत और बुराई का प्रतीक मानते है लेकिन रावण से जुड़े कई ऐसे रहस्य है जो शायद ही कभी आपको किसी ने बताये हो .. आइये आज बात करते है कुछ ऐसे ही रहस्यों की जिस से शायद आप जान सकें रावण इतना शक्तिशाली और विद्वान कैसे बना और फिर भी वह इस तरह वध में मारा क्यों गया …

 

रावण की माता कैकसी और पिता विश्वेश्रवा जो की महान ऋषि थे. लेकिन कैकसी को राखसी प्रवत्ति की संतान प्राप्त होने का योग था. जिसके कारण उन्होंने ऋषि मुनियों से तप कर इसका उपाय माँगा तब कैकसी को उनकी छोटी संतान धर्मात्मा होने का वरदान मिला. जब कैकसी और विश्वेश्रवा की पहली संतान हुयी तो वह दस सिरों के साथ थी. जिसका नाम दसग्रीव यानी रावण रखा गया. कैकसी की दूसरी संतान कुम्भकरण था जो की बेहद विशाल शरीर के साथ हुआ . इसके बाद कैकसी ने सूपनखा और विभीषण को जन्म दिया. वरदान के मुताबिक विभीषण सभी संतानों से अलग थे और भक्ति भाव में लींन रहते थे.

रावण के पिता विश्वेश्रवा ने उन्हें पूरी तरह से ब्राहमण समाज की शिक्षा दीक्षा दी जिसके बाद वह ब्रह्माण्ड में सबसे ज्यादा ज्ञानी बना. लेकिन जैसे जैसे कुम्भकरण और रावण बड़े हुए उन दोनों के अत्याचार भी बढ़ते गये और राखसी प्रवत्ति सामने आती गयी. एक दिन लंका के राजा कुबेर ऋषि विश्वेश्रवा से मिलने गये तो कैकसी ने अपने पुत्रो को कुबेर के वैभव को देख उन्हें भी ऐसा वैभवशाली बनने का सुझाव दिया.

माता की आज्ञा के अनुसार तीनो भाई रावण , कुम्भकरण और विभीषण भगवान् ब्रम्हा की आराधना के लिए निकल गये. विभीषण पहले से ही भक्ति भाव के थे और उन्होंने 5 हजार साल तक ब्रम्हा की आराधना करते हुए उन्हें खुश किया जिसके बाद ब्रम्हा ने उन्हें असीम भक्ति का वर दिया.

कुम्भकरण ने अपनी इन्द्रियों को वश में रखते हुए 10 हजार साल तक ताप किया जिसके बाद उन्होंने वर मांगते समय चुक कर दी और इन्द्रासन की जगह निन्द्रासन मांग लिया. जिसके कारण वह 6 महीने सोते और 6 महीने जागते थे.

Ravan
Image Source : Google

रावण ने भी 10 हजार साल तक कठोर तपस्या की और हर हजारवें साल में अपना एक सर भगवान के चरणों में समर्पित किया जिस से भगवान् ने खुश हो कर उन्हें वरदान मांगने को बोला तो रावण ने अपनी शक्ति का घमंड करते हुए वर माँगा की कोई भी देव दानव किन्नर उसका वध न कर सकें. लेकिन शक्ति में चूर रावण ने मनुष्य और जानवरों को छोड़ दिया.

रावण को यह वरदान मिलने के बाद वह खुद को और भी ज्यादा शक्तिशाली समझने लगा और राखसों का अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ता गया. रावण ने लंका के राजा कुबेर से उनकी सोने की लंका और पुष्पक विमान भी छीन लिया.

दिन प्रतिदिन बढ़ता अत्यचार और घमंड में चूर हुए रावण के वध के लिए ही भगवान् विष्णु को मनुष्य के अवतार में जन्म लेना पड़ा और रावण की म्रत्यु श्री राम और वानरों के हाथो हुयी.

 

ये भी जानें :

 

जब बच्चो ने अस्तबल में बाँध दिया रावण , जानिये Ravan से जुडी बाते

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here